UPI Payment New Update
UPI Payment New Update : से पेमेंट करते समय ये ऑप्शन बंद न किया तो हो सकता है बड़ा नुकसान
देश में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में UPI (Unified Payments Interface) का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में अगस्त 2025 में UPI के संचालन में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जो खासकर UPI Auto Pay सुविधा को प्रभावित कर सकते हैं। इन नए नियमों के तहत UPI Auto Pay के जरिए होने वाले ऑटोमैटिक रिकरिंग पेमेंट्स में समय और फीस दोनों की पाबंदियां आ गई हैं, जिससे UPI ऑटोपे महंगा और थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
क्या है UPI Auto Pay?
UPI Auto Pay एक ऐसी सुविधा है जो ग्राहकों को बिना बार-बार मैन्युअली पेमेंट किए, अपने बिल, सब्सक्रिप्शन, EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम आदि के लिए ऑटोमैटिक पेमेंट करने में मदद करती है। ग्राहक एक बार मेन्डेट (मंजूरी) सेट करता है और तय तारीख को पैसा अपने आप कट जाता है। इससे पेमेंट समय पर होना सुनिश्चित होता है और सुविधा भी मिलती है।
नई अपडेट्स क्या हैं?
ऑटोपे ट्रांजैक्शंस के समय में बदलाव:
अगस्त 1, 2025 से ऑटोपे पेमेंट अब केवल गैर-पीक आवर्स (non-peak hours) में ही होंगे। यानी सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक के बीच के समय में ये पेमेंट नहीं हो सकेंगे। यह बदलाव UPI प्रणाली पर आने वाले भार को कम करने के लिए किया गया है ताकि सिस्टम अधिक स्थिर और त्रुटि मुक्त रहे।
ऑटोपे ट्रांजैक्शन की कोशिशों की सीमा:
अब हर ऑटोपे मेन्डेट के तहत पेमेंट की सिर्फ चार कोशिशें (1 मूल + 3 रीट्राई) की अनुमति होगी। इससे असफल ट्रांजैक्शन की संख्या कम होगी और सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ेगी।
पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए फीस लागू:
पहले UPI पेमेंट्स आम ग्राहक के लिए पूरी तरह से फ्री थे, लेकिन बढ़ते लेनदेन की संख्या और सिस्टम के रखरखाव के लिए अब Google Pay, PhonePe जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स को बैंकों को प्रति ट्रांजैक्शन फीस देनी होगी। इस फीस का बोझ सीधे ग्राहक पर नहीं डाला जाएगा, लेकिन इससे ऐप्स के संचालन में बदलाव आ सकता है।
ट्रांजैक्शन लिमिट में बढ़ोतरी:
UPI ऑटोपे में अब ₹1 लाख तक ट्रांजैक्शन की लिमिट हो गई है, जो पहले ₹15,000 तक थी। यह बदलाव म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस, और क्रेडिट कार्ड भुगतान जैसे बड़े वर्गों में लागू होता है।
UPI Auto Pay महंगा क्यों हो सकता है?
पेमेंट एग्रीगेटर्स को अब बैंकों को UPI ट्रांजैक्शंस पर प्रति ट्रांजैक्शन ₹10 तक फीस देनी होती है। चूंकि ये ऐप्स अपनी इस अतिरिक्त लागत को कवर करने के लिए सेवाओं पर चार्ज बढ़ा सकते हैं या अपनी व्यवसाय रणनीति में बदलाव कर सकते हैं, इसलिए अंततः UPI Auto Pay के ऑटोमैटिक पेमेंट करने की लागत ग्राहक के लिए बढ़ सकती है।
साथ ही, ऑटोपे के ट्रांजैक्शंस को अब गैर-पीक आवर्स में सीमित करने से कुछ उपयोगकर्ताओं को पेमेंट टाइमिंग के लिहाज से असुविधा हो सकती है, जिससे ट्रांजैक्शन फेल होने या देरी होने की संभावना बढ़ सकती है।
क्या करें?
UPI Auto Pay मेन्डेट सेट करते समय नए नियमों को ध्यान में रखें।
पेमेंट एग्रीगेटर्स द्वारा फीस चार्जिंग पॉलिसी में बदलावों से अपडेट रहें।
अपने पेमेंट शेड्यूल और लिमिट्स का नियमित अवलोकन करें।
जरूरत पड़ने पर ऑटोपे कैंसिल या संशोधन का विकल्प इस्तेमाल करें।