OBC Creamy Layer New
केंद्र सरकार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण व्यवस्था में ‘क्रीमी लेयर’ को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी में है। सरकार प्रस्तावित है कि अब न केवल केंद्र और राज्य सरकारी नौकरियों में, बल्कि पीएसयू (सार्वजनिक उपक्रम), विश्वविद्यालयों और प्राइवेट सेक्टर में भी क्रीमी लेयर का नया फार्मूला लागू हो सकता है। गौरतलब है कि ओबीसी के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27% आरक्षण का प्रावधान है। लेकिन, यह आरक्षण केवल ‘नॉन-क्रीमी लेयर’ श्रेणी के लोगों को ही मिलता है।
क्रीमी लेयर क्या है?
क्रीमी लेयर ऐसी ओबीसी आबादी को कहा जाता है जो आर्थिक व सामाजिक रूप से अपेक्षाकृत सम्पन्न मानी जाती है। मौजूदा नियमों के अनुसार, जिनकी सालाना पारिवारिक आय ₹8 लाख या उससे अधिक है, वह क्रीमी लेयर में आते हैं। इसके अलावा, उच्च पदों पर तैनात सरकारी/पीएसयू अधिकारियों, सांसद-विधायकों, जजों, बड़े उद्योगपतियों, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, आदि को भी क्रीमी लेयर में माना जाता है।
नए नियम क्या होंगे?
संकेत हैं कि केंद्र सरकार अब क्रीमी लेयर के नियमों को और कड़े तथा समतावादी बनाने की दिशा में सोच रही है—
निजी क्षेत्र के उच्च-वेतनधारी पेशेवर, बड़े बिजनेसमैन, व प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनियों के सीनियर अधिकारी भी क्रीमी लेयर में आएंगे।
सरकार ‘आय बहिष्करण मानदंड’ (income exclusion criteria) को सभी क्षेत्रों में लागू करना चाहती है, ताकि ओबीसी आरक्षण वास्तव में वंचित लोगों को मिल सके, न कि समाज के सम्पन्न तबकों को।
आय की गणना में सिर्फ वेतन ही नहीं, बल्कि अन्य स्रोतों से आय, संपत्ति, व्यापारिक लाभ, आदि को भी गिनना प्रस्तावित है।
किसका आरक्षण जाएगा?
जिनकी सालाना पारिवारिक आय ₹8 लाख या उससे ज्यादा है—सरकारी, प्राइवेट, बिजनेस सभी।
जिनके माता-पिता सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम में ग्रुप-A या उच्च पदों पर हैं, या दोनों माता-पिता मिलकर कुल आय ₹8 लाख पार करते हैं।
बड़े व्यापारी, उद्योगपति, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील जैसी पेशा विशेष के लोग यदि उनकी आय सीमा पार है।
OBC Creamy Layer New
नए प्रस्ताव से अगर आप केंद्रीय या राज्य सरकार, पीएसयू, विश्वविद्यालय, या प्राइवेट कंपनी में उच्च वेतनमान पर हैं, तो आपको भी क्रीमी लेयर में गिना जाएगा।
आपकी नौकरी और सैलरी पर असर
अगर आपकी पारिवारिक आय सीमा के ऊपर है या आप उच्च पद (ग्रुप-A/क्लास-1) पर हैं, तो आप OBC आरक्षण के हक के बाहर हो जाएंगे।
आपके बच्चों को सरकारी नौकरी, UPSC/SSC परीक्षा, केंद्रीय/राज्य विश्वविद्लायों में दाखिले में OBC आरक्षण नहीं मिलेगा।
आर्थिक रूप से सम्पन्न OBC परिवार सरकारी आरक्षण नीति से बाहर हो जाएंगे।
इसका मकसद क्या है?
सरकार का उद्देश्य है आरक्षण का सही बँटवारा हो सके और वंचित तबकों तक उसका लाभ पहुँचे, न कि पहले से सम्पन्न परिवारों तक। अलग-अलग क्षेत्रों में समरूपता (Equity) लाने के लिए नए नियम प्रस्तावित हैं।
आप क्या करें?
आय सीमा या परिवार की सरकारी नौकरी की पोजिशन की जाँच करें।
अगर आप नॉन-क्रीमी लेयर में आते हैं, तो समय पर प्रमाण पत्र (OBC NCL Certificate) बनवाएँ।
क्रीमी लेयर के दायरे में आने वाले अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा—ऐसी स्थिति में प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य श्रेणी से अप्लाई करें।
निष्कर्ष
नए प्रस्तावों से आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत ओबीसी परिवार आरक्षण से बाहर हो सकते हैं। इससे आरक्षण का लाभ अपेक्षाकृत जरूरतमंद तबके तक पहुँचने की सरकार की मंशा है। आपकी नौकरी या बच्चों की शिक्षा और भविष्य की सरकारी भर्ती में इसका सीधा असर पड़ेगा